पपीता वास्तव में बच्चों, युवा लोगों, बूढ़ों, महिलाओं और विशेष रूप से पेट के रोगियों के लिए अमृत के समान है। यदि बच्चों को गाजर और पपीता किसी भी रूप में खिलाये जायें तो उनकी सेहत ठीक रहती है और उनके शरीर की बढ़वार स्वाभाविक रूप से होती है। युवा और बूढ़ों के लिए यह इसलिए वरदान के समान है कि इससे अनेक रोगों के मूल कारण कब्ज से छुटकारा मिलता है और थोड़ा-सा पपीता खाने से ऐसा लगेगा कि पेट भर गया। इसका लाभ यह होगा कि वे अनाप-शनाप चीजें खाने से बचेंगे। इससे पैसों की बचत के साथ-साथ वे अनेक रोगों से भी बचे रहेंगे।
महिलाएं, चाहे वे गर्भवती हो अथवा सामान्य स्थिति में, उनके लिए पपीता प्रत्येक स्थिति में लाभ देता है। गर्भवती का स्वास्थ्य ठीक रहता है और दूध पिलानेवाली माता के स्तनों में दूध की मात्रा बढ़ जाती है। माताएं, महिलाएं किसी भी स्थिति अथवा रूप में पपीते का प्रयोग करेंगी तो उन्हें लाभ होगा। उनके लिए तो पपीता सौंदर्य प्रसाधक के रूप में भी सहायक सिद्ध होता है। पपीते की एक विशेषता यह है कि शरीर को प्रतिदिन जितने प्रोटीन, खनिज लवण और विटामिनों की आवश्यकता होती है, शरीर में उनकी आपूर्ति पपीते से हो जाती है।
पपीते में विटामिन ‘सी’ की मात्रा बहुत अधिक रहती है और जब पपीता पकता है तब इस विटामिन की मात्रा में और वृद्धि होती है। पपीते की एक विशेषता यह है कि यह बहुत जल्दी पच जाता है और पेट के रोग इससे शांत होते हैं। पपीते के गूदे में जो रस होता है वह पेट के पाचक तत्वों में वृद्धि करता है। इसके कारण एंजाइम नामक तत्त्व शरीर में जल्दी जज्च हो जाते हैं और शरीर को ऊर्जा देते हैं।
पेट के रोग: पपीता विशेष रूप से पेट के रोगों में लाभदायक होता है। पपीता आंतों में पाचक रस को बढ़ाने में सहायक होता है और आंतों में फंसा हुआ कफ बाहर निकाल देता है। यदि पके पपीते को नियमित रूप से खाया जाए तो वर्षों पुराना कब्ज इससे दूर हो जाता है। इससे जिगर को भी शक्ति मिलती है। जिन बच्चों का जिगर खराब रहता है, उन्हें पपीता देना अधिक लाभदायक सिद्ध होता है। इस प्रकार पपीता पेट के सभी रोगों में विशेष लाभ पहुंचाता है।
पेट के कीड़े: अनेक बच्चों के पेट में अनेक कारणों से कीड़े पैदा हो जाते हैं। यदि पपीते के बीज पानी में पीसकर बच्चे को पिलाएं और रात को सोते समय थोड़े से दूध में एक-दो चम्मच अरंडी का तेल मिलाकर पिलाएं तो दो-तीन दिन में पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं। पेट के कीड़े समाप्त होने पर बच्चे के शरीर का विकास होने लगता है।
तिल्ली के बढ़ने पर: तिल्ली के बढ़ने अथवा जिगर के किसी भी विकार में पपीते के टुकड़े करके उस पर सिरका डालकर खाने से एक सप्ताह के भीतर ही तिल्ली के रोग समाप्त हो जाते हैं। कच्चे पपीते को उबालकर खाने से पुराने से पुराने दस्त ठीक करने में सहायता मिलती है।
मासिक स्राव संबंधी रोग: पपीता स्त्रियों के अनेक रोगों में लाभदायक सिद्ध हुआ है। कच्चे पपीते की विशेषता यह रही है कि यह गर्भाशय की मांसपेशियों को बल देता है। उसके साथ ही मासिक स्राव ठीक रूप से होने लगता है। कच्चे पपीते का प्रयोग सब्जी के रूप में किया जा सकता है। कच्चे पपीते से एक विशेष प्रकार का रस निकलता है। उसे एक मोटे कपड़े पर इकट्ठा करके सुखा लें। इस रस को एक रत्ती की मात्रा में भोजन के बाद खाने से भोजन सरलतापूर्वक पचने लगता है। पका पपीता अनेक प्रकार से खाया जाता है।
इसे भोजन के साथ मिष्टान्न के रूप में खा सकते हैं। नाश्ते के रूप में खाएंगे तो भूख बढ़ेगी और सारा दिन ताजगीपूर्वक बीतेगा। दोपहर को फलों की चाट के रूप में थोड़ा मिर्च-मसाला डालकर खाएंगे तो दिन भर का खाया हुआ खाना पच जाएगा और शाम के भोजन में रुचि बढ़ेगी। पपीता जैम और जेली के अतिरिक्त स्वादिष्ट पेय के रूप में भी काम आता है। अब तो इसे डिब्बाबंद फलों के रूप में भी प्रयोग में लाया जाता है। पाचक दवाइयों और बच्चों के चूसने की गोलियों के रूप में भी यह प्रयोग किया जाता है।
सौंदर्य प्रसाधक के रूप में: पपीता तथा पपीते के बीज अनेक प्रकार से सौंदर्यवर्धक उपाय के रूप में काम आते हैं। कच्चे पपीते का रस अनेक प्रकार के त्वचा रोगों में इस्तेमाल किया जाता है। कील-मुंहासे पर इसे लगाने से उनमें पस नहीं पड़ती और वह सूखकर ठीक हो जाते हैं। पपीते के गूदे को भली प्रकार पीसकर चेहरे के दाग-धब्बों को दूर करने के लिए मास्क के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। इस मास्क को झिल्ली के रूप में उतारा जाता है तो चेहरा खिल जाता है। पपीते के बीजों को पानी में पीसकर दाद-खाज और खुजली पर लगाने स