इस देश में किराए पर कोख देने के महिलाओं को मिलते हैं इतने लाख रुपये, फल-फूल रहा सरोगेसी का कारोबार…

कई कारणों के चलते कुछ महिलाएं मां नहीं बन पाती। मां ना बन पाने के कई कारण हो सकते हैं जैसे मिसकैरिएज या प्रेग्नेंसी में दिक्कतें होना। ऐसे में कई महिलाएं सरोगेसी के जरिए मां बनती हैं। दुनियाभर में ऐसे बहुत से कपल हैं जो सरोगेसी का ऑप्शन चुनते हैं। आज हम एक ऐसे देश के बारे में बताने जा रहे हैं जहां सरोगेसी (सरोगेसी) को एक कारोबार की तरह चलाया जा रहा है। मां बनना हर महिला के लिए काफी खुशी की बात होती है।

बीते कुछ सालों में माता-पिता बनने की ख्वाहिश रखने वाले कई लोग इस देश में जा रहे हैं। यह देश सरोगेसी की फैक्ट्री के नाम से भी जाना जाने लगा है। यूक्रेन में सरोगेसी को कानूनी मान्यता मिलने के बाद से यहां हर साल हजारों की संख्या में बच्चों को जन्म दिया जाता है।

साल 2015 के बाद से भारत, नेपाल, बांग्लादेश समेत कई देशों में कॉमर्शियल सरोगेसी को लेकर सख्ती होने के बीच यूक्रेन में इसका लीगल होना उन कपल्स के लिए राहत की बात है, जिनके बच्चे नहीं हो पा रहे हैं। यूक्रेन की तमाम कंपनियां इस बिजनेस में लगी हुई हैं। इसके लिए प्रमोशनल वीडियोज और इवेंट चलाए जाते हैं, जिसमें बच्चों के साथ खुश कपल्स को देखकर लोग आकर्षित होते हैं।

अपनी इच्छा से सरोगेट बनने वाली महिलाओं को कंपनियां एक बार प्रेग्नेंट होने के लिए 8,00,000 और इसके अलावा हर महीने 18,000 रुपए स्टाइपेंड के तौर पर देती हैं। साल 2002 में लीगल होने के बाद से अफोर्डेबल सरोगेसी सेवाओं की तलाश में कई विदेशी जोड़े यूक्रेन जा रहे हैं। यहां एवरेज पैकेज कॉस्ट लगभग 22 से 23 लाख रुपए है।

सरोगेट बनने का विकल्प चुनने वाली कई महिलाओं का कहना है कि उनके लिए स्थितियां बहुत खराब हैं। ज्यादातर महिलाएं छोटे गांवों से आती हैं और निराशाजनक स्थितियों में हैं। इन महिलाओं को तय की गई राशि का भुगतान नहीं किया जाता और गर्भावस्था के बाद उन्हें काफी भयानक परिस्थितियों में रखा जाता है। उन्हें कभी-कभी दूसरी सरोगेट मदर्स के साथ बिस्तर शेयर करने के लिए मजबूर किया जाता है। इन महिलाओं को अपने घर वालों से बात करने की भी इजाजत नहीं होती है।

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