नींबू में विद्यमान विटामिन ‘सी’ और क्षार के कारण नींबू का औषधि के रूप में व्यापक प्रयोग होता है। दाल-सब्जी तथा सलाद आदि में नींबू का रस डालने से उनमें एक विशेष प्रकार की महक आती है और स्वाद में वृद्धि होती है। उससे पाचक तत्त्वों में वृद्धि होती है। नींबू की विशेषता यह है कि यह प्रत्येक मौसम के दुष्प्रभावों को दूर करता है। शरीर में विद्यमान विष दूर करने में भी यह महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जहां नींबू के रस में औषधीय गुण हैं, वहीं इसके अन्य भागों का भी औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है।
पके हुए नींबू की छाल से तेल निकाला जाता है। इस तेल का अनेक औषधियों में उपयोग होता है। यह अनेक पदार्थों में सुगंध बढ़ाने लिए तथा अपच व गैस दूर करने के लिए अनेक रोगों में काम आता है। नींबू में विटामिन ‘सी’ की अधिकता के कारण स्कर्वी, रक्त की कमी, शरीर के विभिन्न अंगों में ज्वर, पायरिया आदि दांतों के रोग, कूकर खांसी, दमा आदि रोगों में इससे लाभ होता है। विटामिन ‘सी’ की अधिकता के कारण इसके प्रयोग से दांत और मसूढ़े मजबूत होते हैं। मसूढ़ों की सूजन दूर होती है तथा दांतों का घिसना और उनमें खड्डे आदि होना समाप्त हो जाता है।
गले के रोग: जिन व्यक्तियों को प्रायः जुकाम और खांसी रहती है, वे यदि गुनगुने पानी में नींबू का रस निचोड़कर, उसमें शहद मिलाकर नियमित रूप से लेते रहें तो बार-बार जुकाम और खांसी होना बंद हो जाता है। रात को सोते समय गरम पानी में नींबू का रस और शहद मिलाकर पीने से भी लाभ होता है। गले की सूजन और दर्द में यदि गरम पानी में नींबू निचोड़कर दिन में तीन बार गरारें करें तो गले के कष्ट दूर हो जाते हैं। सांस और गैस की तकलीफ में आधा नींबू में नमक और काली मिर्च डालकर कोयले की आग अथवा गैस पर गरम करके चूसने से तकलीफ दूर होती है। अनेक प्रकार के ज्वरों में जब मुंह का स्वाद बिगड़ जाता है, उस समय गरम किये हुए नींबू को चूसते रहने से लाभ होता है।
विभिन्न ज्वर: जिस समय ज्वर के रोगी को बार-बार प्यास लगती है, उस समय उसे यदि गरम पानी में नींबू निचोड़कर पीने के लिए दिया जाए तो उसकी प्यास शांत होती है और हृदय की जलन समाप्त होती है। यह पाचक रस का काम भी देता है। पानी में नींबू का रस देने से ज्वर का तापमान भी धीरे-धीरे कम हो जाता है।
मलेरिया ज्वर में नींबू में नमक, काली मिर्च भरकर गरम करके चूसने से बुखार की गर्मी दूर हो जाती है। नींबू के छिलकों सहित दो नींबू का रस 500 ग्राम पानी में मिलाकर रात को उबालकर आधा रहने पर मिट्टी की हांडी में रख दें। प्रातःकाल इसे पीने से मलेरिया आना बंद हो जाता है। पानी में नींबू निचोड़कर स्वाद के अनुसार चीनी मिलाकर पीने से 4 दिन में मलेरिया आना बंद हो जाता है। मलेरिया में उलटी होने लगे तो नींबू के रस में नमक-चीनी मिलाकर पियें उल्टियां बंद हो जाएंगी। शरीर के विभिन्न अंगों में दर्द और हड्डियां टूटने-सी लगती हों और नजला, जुकाम और फ्लू होने पर गरम पानी में नींबू का रस पीते रहने से इन रोगों से बचा जा सकता है। पानी में शहद भी मिला सकते हैं। किसी भी प्रकार के ज्वर में जब अधिक प्यास लगती है और शरीर के अंगों में दर्द, हड्डियां टूटती अनुभव हों तो गरम पानी में नींबू का रस मिलाकर पीने से रोगी को आराम मिलता है। ज्वर के रोगियों को गरम पानी में शहद मिलाकर भी दे सकते हैं। इससे उन्हें शक्ति प्राप्त होगी।
गठिया आदि दोष गठिया: शरीर के जोड़ों में दर्द तथा इसी प्रकार की अन्य बीमारियों में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ जाती है। ऐसी स्थिति में किसी भी प्रकार नींबू का रस काफी मात्रा में लेने से जमा हुआ यूरिक एसिड समाप्त हो जाता है और गठिया आदि से होनेवाला दर्द समाप्त होने लगता है। जब तले हुए भोजन अथवा अधिक मसालेवाले मांस-मछली आदि खाने से छाती में जलन अनुभव हो और जी घबराने लगे, उस समय ताजे जल में नींबू निचोड़कर घूंट-घूंट करके पीने से फौरन लाभ होता है। जलन और घबराहट बंद हो जाती है।
मोटापा: जो मोटे व्यक्ति अपने शरीर की चर्बी जल्दी समाप्त करना चाहते हैं, उन्हें नींबू के प्रयोग से बहुत अधिक लाभ होता है। नींबू का प्रयोग आरम्भ करने से पूर्व एक दिन पहले उन्हें उपवास रखना चाहिए और जितना अधिक हो सके, पीना चाहिए। अगले दिन से ही उन्हें आधा कप नींबू का रस और उतना ही पानी मिलाकर दिन में कई बार पीना चाहिए। प्रारम्भ के एक-दो दिन में रोगी को कमज़ोरी अथवा भूख अनुभव होगी। परंतु धैर्य से काम लेने पर एकाथ दिन में यह स्थिति समाप्त हो जाएगी। एक महीने के लगभग यदि मोटे व्यक्ति नियम से दिन में तीन-चार बार काफी मात्रा में नींबू का रस और पानी मिलाकर लेंगे तो धीरे-धीरे उनकी चर्बी घटने लगेगी और पेट छोटा हो जाएगा।