आलू की खेती करके कर रहा है करोड़ो की कमाई, पोलिस में से किसान बना ये शख्स – जानिए संघर्ष की कहानी

गुजरात के बनासकांठा जिले के दंतीवाड़ा तालुका में चार हजार से अधिक की आबादी वाला एक गांव है। यहां सेवानिवृत्त पुलिसकर्मी पार्थीभाई जेठाभाई चौधरी रहते हैं। जो आलू की खेती से साल में करोड़ों रुपये कमाते हैं। यह सफलता पार्थीभाई की कड़ी मेहनत का परिणाम है। पार्थीभाई की सफलता भी हर किसान के लिए प्रेरणादायक है।

पार्थीभाई चौधरी ने गुजरात पुलिस में एसआई से डीएसपी तक का सफर तय किया और इसी बीच उन्होंने कृषि की दिशा में आगे बढ़ने का फैसला किया। वर्तमान में, उन्होंने 3.3 करोड़ रुपये प्रति वर्ष के कारोबार के साथ आलू उत्पादन में विश्व रिकॉर्ड बनाया है।

63 वर्षीय पार्थीभाई 1981 में गुजरात पुलिस में बतौर एसआई शामिल हुए थे लेकिन वह 2015 में मेहसाणा में एसीबी में डीएसपी के पद से सेवानिवृत्त हुए।

पार्थीभाई के मुताबिक, ”वह लंबे समय से गुजरात पुलिस में काम कर रहे हैं। सब कुछ ठीक चल रहा था। पिता जेठाभाई गेहूं और बाजरा सहित पारंपरिक खेती में लगे हुए थे। साल 2003 में जेठाभाई ने अपने पांच बेटों को जमीन का एक टुकड़ा आवंटित किया था। हर भाई अपने तरीके से खेती करता था। इस दौरान पार्थीभाई के मन में पारंपरिक खेती के अलावा कुछ नया करने का विचार आया। इसके लिए उन्हाेने प्रगतिशील किसानों के पास जाकर उन्होंने आधुनिक खेती सीखी। इसके बाद उन्होंने आलू की खेती शुरू की।

वर्ष 2004 में पार्थीभाई ने पुलिसकर्मी के रूप में काम करते हुए हर शनिवार-रविवार को घर पर ऐसे आलू की खेती शुरू की। वह अपनी पांच एकड़ जमीन में आलू उगाते थे। इसके बाद धीरे-धीरे उन्होंने आसपास की जमीन भी खरीद ली। वह फिलहाल 87 एकड़ में आलू की खेती कर रहे हैं। आलू की खेती के बारे जानने के लिए अब देश के कई किसान पार्थीभाई के पास आते हैं।

पार्थीभाई ने आगे कहा कि पूरे खेत में आठ बोर कर किए गए हैं. जो स्प्रिंकलर सिस्टम से जुड़े हुए हैं। आलू नवंबर की शुरुआत में बोया जाता है और चार महीने के बाद पौधे आलू उगाते हैं, जिनकी कटाई 15 मार्च तक की जाती है। आलू के अलावा बाजरा, खरबूजे और मूंगफली की खेती अप्रैल से नवंबर तक की जाती है।

पार्थीभाई के अनुसार, बनासकांठा भारत में आलू की खेती का केंद्र है। बनासकांठा अकेले देश के छह प्रतिशत आलू का उत्पादन करता है। यहां करीब एक लाख किसान आलू की खेती करते हैं। विशेष रूप से, बनासकांठा बड़ी मात्रा में आलू का उत्पादन करता है।

पूरे बनासकांठा में आलू उत्पादन के चलते यहां तीन निजी कोल्ड स्टोरेज स्थापित किए गए हैं। जिसमें आलू रखे जाते हैं। इसके अलावा आलू का वितरण मैककेन फूड्स इंडिया यूनिट, हाइफन फूड यूनिट, बालाजी वेफर्स राजकोट और मेहसाणा यूनिट को किया जाता है। जिसकी चिप्स समेत दूसरी चीज बनाई जाती है। इस तरह से आलू की गुणवत्ता को प्रसंस्करण कहा जाता है। इसके अलावा सब्जी बनाने में इस्तेमाल होने वाले आलू की भी खेती की जाती है। जिसे टेबल क्वालिटी के नाम से जाना जाता है।

पार्थीभाई के मुताबिक आलू की खेती में उन्हें एक ही रात में महारत हासिल नहीं की है। यह मैककेन फूड्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के कृषि विज्ञानी गोपाल दास शर्मा, देवेंद्र जी के मार्गदर्शन का परिणाम है। आलू की खेती शुरू करने के बाद पार्थीभाई मार्केटिंग के लिए गोपाल दास और देवेंद्रजी के संपर्क में आए। उन्होंने बाटिक की खेती में नाइट्रोजन, पोटाश और अन्य कीटनाशकों के उपयोग के बारे में विस्तार से बताया। जिससे वह आलू की खेती के उस्ताद बन गए।

पार्थीभाई के नाम प्रति हेक्टेयर सर्वाधिक आलू उत्पादन का विश्व रिकॉर्ड है। इससे पहले नीदरलैंड के एक किसान ने प्रति हेक्टेयर 54 मीट्रिक टन आलू उगाकर विश्व रिकॉर्ड बनाया था। इसके बाद पार्थीभाई ने 2011-12 में प्रति हेक्टेयर 87 मीट्रिक टन आलू उगाकर विश्व रिकॉर्ड बनाया था।

पार्थीभाई की पत्नी मणिबेन एक गृहिणी हैं जो गुजरात के एक पुलिस अधिकारी से प्रगतिशील किसान बन गई हैं। उनके बड़े बेटे कुलदीप चौधरी एमडी रेडियोलॉजिस्ट हैं। जो वर्तमान में पालनपुर में कार्यरत है। छोटा बेटा राकेश अहमदाबाद में पढ़ता है। वर्तमान में प्रति यूनिट 15 से 17 आलू का उत्पादन हो रहा है। शुरुआत में उन्होंने 30 लाख रुपये तक कमाए। उस समय आलू की कीमत 4-5 रुपए थी। फिलहाल आलू 22 रुपये किलो बिक रहा है। जिस वजह से वर्तमान में उनका सालाना कारोबार 3.3 करोड़ का है।

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