एक किसान सरकारी दफ्तरों के कंधे पीट रहा था। शिक्षित नहीं था। वह जानना चाहते थे कि क्या सरकार ने किसी योजना की घोषणा की है। लेकिन वह बेबस होकर इधर-उधर भटकता रहा, लेकिन अधिकारियों ने वैसा नहीं किया। किसान निराश होकर घर आया और अधिकारियों के व्यवहार के बारे में बात करने लगा।
कलेक्टर बननेका लिया फैसला:
9 साल की बच्ची पने पिता की लाचारी से दुखी थी। उसने उसी दिन फैसला किया कि वह अब कलेक्टर(Collector) बनना चाहती है। गांव के आम किसान रामदास भाजीभाकरे की बेटी रोहिणी(Rohini) बचपन से ही पढ़ाई में होशियार थी। लेकिन अपने पिता से मिले उपचार ने उन्हें जीवन में एक ऐसा उद्देश्य दिया जिसे उन्होंने पूरा किया।
रोहिणी की पढ़ाई:
रोहिणी(Rohini) की दसवीं तक की शिक्षा उपलाई गांव में हुई। रोहिणी(Rohini) हमेशा स्कूल में टॉपर रही है। 12वीं के बाद रोहिणी ने पुणे में इंजीनियरिंग(Engineering) में प्रवेश लिया। उन्होंने पुणे के प्रतिष्ठित गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से इंजीनियरिंग पूरी की। बचपन में उनके जीवन का एक उद्देश्य था। उसने उसी के अनुसार यूपीएससी(UPSC) की तैयारी शुरू कर दी। रोहिणी ने सेलम जिले की पहली महिला कलेक्टर के रूप में भी इतिहास रच दिया है। 1790 से जिले में 170 कलेक्टर हो चुके हैं लेकिन वे सभी पुरुष थे। रोहिणी इस जिले की पहली महिला कलेक्टर थीं।
आईएएस की पोस्टिंग:
वह बिना कोई क्लास लिए खुद ही पढ़ाई करने लगी। उन्होंने कड़ी मेहनत की और 2008 में किसान की बेटी आईएएस(IAS) बनीं। तमिलनाडु में एक महिला कलेक्टर(Lady IAS) के रूप में रोहिणी के काम को अक्सर नोट किया गया है। उन्हें कई बड़े पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है।