कैसे करे अल्पविकसित स्तन का उपचार, ये घरेलू उपाय आपको दे सकते हे सूडोल स्तन…

स्तन वृद्धि उपकरण, हार्मोनल क्रीम, लोशन और टैबलेट अब बाजार में उपलब्ध हैं। इसके प्रयोग से धन हानि की बजाय अविकसित स्तनों के उपचार के लिए पौष्टिक आहार योजना, आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों से मालिश, आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों का सेवन और व्यायाम पर जोर दिया जाना चाहिए। इसके अलावा अंडरवियर में बदलाव, स्वभाव में बदलाव आदि भी उतना ही जरूरी है।

पौष्टिक भोजन का चुनाव: छोटे स्तनों की समस्या से पीड़ित महिला को प्रोटीन से भरपूर हल्का, पौष्टिक आहार लेना चाहिए। जो मिनरल और विटामिन से भी भरपूर होना चाहिए। आहार में आयुर्वेद की दृष्टि से फल, दाल, हरी सब्जियां, घी, दूध, मलाई, मांस, अंडे, खजूर जैसे पौष्टिक आहार शामिल होने चाहिए। जो शरीर के स्वास्थ्य के साथ-साथ स्तन विकास में भी मदद करता है।

सूखे स्तनों वाली महिला को अपना स्वभाव बदलने की जरूरत है। मनोवृत्ति को बदलने के लिए मन को प्रसन्न रखना, क्रोधी स्वभाव को छोड़ना और स्वभाव को मिलनसार रखना, तनाव न लेना आदि आवश्यक है। यह अक्सर छोटे स्तनों के कारण भी होता है। युवा महिलाओं को एनोरेक्सिया नर्वोसा से पीड़ित होने की अधिक संभावना है। ऐसी झूठी चिंताओं को छोड़ देना चाहिए। यदि कोई विरासत में मिला छोटा स्तन दोष है, तो इसे सहज रूप से स्वीकार किया जाना चाहिए।

अंडरवियर का उचित चयन: अंडरवियर जाहिर तौर पर सही चुनाव करने से छोटे स्तनों की समस्या से छुटकारा मिल जाना चाहिए। सही साइज की ब्रा ही पहनने की सलाह दी जाती है। ऐसी ब्रा के इस्तेमाल से बचें जो बहुत टाइट हो। बहुत छोटे स्तनों वाली लड़की को उचित पोशाक पहनकर अपने व्यक्तित्व को निखारने के लिए गद्देदार ब्रा पहननी चाहिए या ब्लाउज पैड का उपयोग करना चाहिए। इससे बाहर निकलने से अवचेतन अनुभव से छुटकारा मिल सकता है।

व्यायाम का महत्व: घर के सामान्य कार्यों से दूर रहना चाहिए ताकि आवश्यक व्यायाम उपलब्ध हो सके। लड़कियों को खेलकूद, नृत्य, रस्सियों की तरह व्यायाम करना चाहिए। कम उम्र से ही उचित व्यायाम और खेल स्तन वृद्धि में मदद कर सकते हैं।

बाह्य चिकित्सा:  बाह्य चिकित्सा में मालिश, गोद व व्यायाम शामिल है।

मालिश: आयुर्वेद में बताए गए औषधीय तेल से दोनों स्तनों की मालिश करने से स्तन मजबूत होते हैं। तेल पेट फूलने से राहत देता है। तेल अपने सूक्ष्म और तापीय गुणों के कारण छाती की छोटी कोशिकाओं में प्रवेश करता है। इस प्रकार पके हुए तेल की नियमित रूप से दोनों स्तनों पर मालिश करनी चाहिए। यह सूखे स्तनों को मजबूत करता है। और ढीले स्तनों को फिर से उठाया और मजबूत किया जाता है। जिन युवतियों के स्तन पूरी तरह से विकसित नहीं हुए हैं, उन्हें इस तेल की नियमित रूप से लंबे समय तक मालिश करनी चाहिए। इसके अलावा आयुर्वेद में बताए गए अश्वगंधा के तेल, श्रीपर्णी के तेल, बाला के तेल आदि के तेल से सुबह-शाम हल्के हाथों से स्तन क्षेत्र की मालिश करने से स्तन बढ़े हुए, मोटे और मजबूत होते हैं।

लेप: आयुर्वेद में स्तन पुष्टी के लिए विभिन्न प्रकार की गोद का वर्णन किया गया है। उचित परिणाम प्राप्त होने तक प्रयोग जारी रखना चाहिए। भैंस के दूध के मक्खन के साथ कठ, बालमूल, वाचा और नागबाला का चूर्ण लेकर स्तनों पर लगाएं और मलें। ढीले और ढीले स्तनों वाली महिलाओं द्वारा भी इस गोद को लगाया जा सकता है क्योंकि यह स्तनों को दृढ़, ऊंचा और कठोर बनाता है। काली मिर्च, अश्वगंधा, अदद, सरसों, जौ, उपलेट, अघड़ाना के बीज, काले तिल, सिंधव, गोखरू, लिंडी काली मिर्च, भोरिंगानी फल से स्तन ओर मोटा होता है ।

 

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *