अंजीर प्रायः सूखे फल के रूप में अधिक इस्तेमाल खेतार रसदार और स्वादिष्ट जीर प्रायः सूखे फल के रूप में अधिक इस्तेमाल होता है। अंजीर के गूदे के होता है। इसके जल्दी खराब होने की संभावना रहती है। इसलिए प्रायः सूखे फल के रूप में इसका अधिक प्रयोग होता है। सूखा अंजीर काफी समय तक व्यवहार योग्य बना रहता है।
अंजीर में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा के साथ-साथ कैल्शियम, फास्फोरस आदि खनिजों के साथ विटामिन ‘ए’ और विटामिन ‘सी’ काफी मात्रा में रहती है। अंजीर में बहुत से औषधीय गुण हैं। लम्बी बीमारी के कारण जो व्यक्ति अधिक दुर्बल हो जाते हैं, उन्हें सूखे अंजीर का सेवन करने से शारीरिक और मानसिक शक्ति प्राप्त होती है। इसके प्रयोग से शारीरिक दुर्बलता नष्ट हो जाती है। शरीर में नये रस का संचार होता है।
कब्ज : जिन लोगों को अधिक पुराना कब्ज रहता है, उन्हें अंजीर का प्रयोग करने से कब्ज सदा के लिए समाप्त हो जाता है। कब्ज वाले व्यक्तियों को रात्रि के समय कांच अथवा चीनी मिट्टी के बर्तन में दो-तीन अंजीर भली प्रकार धोकर भिगो देनी चाहिए।
प्रातः काल उठकर साबुन से हाथ धोकर भिगोए हुए अंजीरों को अच्छी तरह मसलकर चबा-चबाकर खायें, तत्पश्चात् पानी पी लें। कब्ज से काफी राहत मिलेगी। अंजीर के बीजों से आंतों की क्रियाशीलता बढ़ती है और पेट साफ होने लगता हैं। होता है। पेट को आराम मिलता है, उसकी जलन और गैस समाप्त हो जाती है।
फेफड़ों से संबंधित रोग: चार-पांच अंजीर धोकर भली प्रकार उबाल लें। उबले हुए पानी को छानकर प्रातः व सायं पीने से फेफड़े के रोगों में आराम आता है। नियमित रूप से इसका सेवन करने से व्यक्ति बार-बार जुकाम होने से बचा रहता है।
दमा अथवा फेफड़ों के रोग: फेफड़ों के रोगियों के लिए अंजीर अमृत का काम करता है। फेफड़े के रोग प्रायः बलगम आदि के कारण होते हैं। दमे का प्रमुख कारण भी श्वास नली का साफ न होना है। बलगमवाले दमे में अंजीर खाने से लाभ होता है। रोगी यदि अंजीर का प्रयोग करता रहे तो बलगम सरलता से बाहर आ जाता है और दमे का रोगी आराम अनुभव करता है।
अंजीर का प्रयोग करने से पूर्व उसे अच्छी तरह धो लेना चाहिए। सूखे अंजीर का छिलका काफी कठोर होता है। घोकर खाने से वह जल्दी हजम हो जाता है। जिस पानी में अंजीर भिगोया जाए, उसे फेंकना नहीं चाहिए। अंजीर चबाकर खाने के बाद वह पानी पी लेना चाहिए। अंजीर को बादाम और खजूर आदि के साथ उपयोग करना चाहिए। इससे शारीरिक शक्ति बढ़ती है और शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता पैदा होती है।