प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की कार्रवाई से महाराष्ट्र(Maharashtra) की राजनीति में जबरदस्त भूचाल आया है। उद्धव सरकार में मंत्री और एनसीपी के वरिष्ठ नेता नवाब मलिक को ईडी(ED) ने गिरफ्तार कर लिया है। दाऊद इब्राहिम(Daud Ibrahim) से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग(Money Laundering) के एक मामले में यह गिरफ्तारी हुई है। ईडी की टीम ने आज सुबह नवाब मलिक(Nawab Malik) के घर पर छापा मारा। दावा किया जा रहा है कि इस बीच कई अहम दस्तावेज मिले, जिसके बाद ईडी की टीम ने नवाब मलिक से पूछताछ शुरू की और करीब 3 बजे नवाब मलिक को ईडी ने गिरफ्तार कर लिया।
नवाब मलिक(Nawab Malik) इस समय मुंबई के जेजे अस्पताल में हैं। मलिक को मेडिकल टेस्ट के बाद कोर्ट में पेश किया जा सकता है। नवाब मलिक के पास उद्धव ठाकरे सरकार में अल्पसंख्यक, उद्योग और कौशल विकास का कैबिनेट मंत्रालय है। वह राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के मुख्य राष्ट्रीय प्रवक्ता और पार्टी के मुंबई शहर अध्यक्ष भी हैं। मलिक ने अपने करियर की शुरुआत जंकयार्ड के रूप में की थी और कुछ साल पहले तक इससे जुड़े रहे थे।
नवाब मलिक का जन्म 20 जून 1959 को बलरामपुर के उत्तरौला तालुका के उत्तर प्रदेश के एक गांव में हुआ था। नवाब मलिक का परिवार खेती से जुड़ा हुआ था। परिवार के कुछ सदस्य व्यवसाय से जुड़े थे, इसलिए पूरा परिवार आर्थिक रूप से व्यवहार्य था। उनके परिवार का मुंबई में एक होटल था और परिवार के अन्य सदस्य स्क्रैप व्यवसाय में शामिल थे। मलिक ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह भी कहा कि हां, मैं स्क्रैप डीलर हूं। मेरे पिता मुंबई में कपड़ा और स्क्रैप का कारोबार करते थे। विधायक बनने तक मैंने स्क्रैप का कारोबार भी किया। मेरा परिवार आज भी ऐसा ही कर रहा है। मुझे उस पर गर्व है।
मलिक ने 1980 में महज 21 साल की उम्र में मेहजबीन से शादी कर ली थी। इस शादी से उनके दो बेटे और दो बेटियां हैं। मलिक का कारोबार उनके बेटे और बेटियों द्वारा चलाया जाता है नवाब मलिक ने 1984 में अपना पहला लोकसभा चुनाव कांग्रेस से गुरुदास कामत और भाजपा से प्रमोद महाजन के खिलाफ लड़ा था। मलिक उस समय केवल 25 साल के थे। कामत को 2 लाख 73 हजार वोट मिले और प्रमोद महाजन को 95 हजार वोटों से हराया। उस चुनाव में मलिक को केवल 2620 वोट मिले थे। मलिक ने संजय विचार मंच से चुनाव लड़ा था। चूंकि उन्हें राजनीतिक दल का दर्जा नहीं था, इसलिए मलिक को उस चुनाव में एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में माना जाता था।
मुंबई यूनिवर्सिटी(Mumbai Univercity) ने कॉलेज फीस में बढ़ोतरी की थी, जब वाब कॉलेज में पढ़ रहे थे। इसके खिलाफ शहर में आंदोलन चल रहा था। नवाब मलिक ने आंदोलन में एक साधारण छात्र की तरह भाग लिया। आंदोलन के दौरान पुलिस की पिटाई से नवाब घायल हो गए थे। नवाब मलिक कहते हैं कि इस बीच उनकी राजनीति में दिलचस्पी हो गई। उन्होंने 1991 में नगर निगम चुनाव के लिए कांग्रेस से टिकट मांगा था, लेकिन कांग्रेस ने उन्हें टिकट नहीं दिया, लेकिन नवाब मलिक राजनीतिक रूप से अपनी पहचान बनाने की कोशिश करते रहे।
मुंबई और आसपास के इलाकों में बाबरी मस्जिद की घटना के बाद मुस्लिम मतदाताओं के बीच समाजवादी पार्टी की लोकप्रियता बढ़ रही थी। वहीं नवाब मलिक भी समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए। उन्हें 1995 के विधानसभा चुनाव में मुस्लिम बहुल नेहरू नगर निर्वाचन क्षेत्र से पार्टी से टिकट मिला था। उस समय शिवसेना के सूर्यकांत महादिक ने 51 हजार 569 वोट पाकर जीत हासिल की थी। नवाब मलिक 37,511 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे। मलिक हार गए, लेकिन अगले ही साल वह विधानसभा पहुंच गए।
उन्हें विधायक महादिक के खिलाफ धर्म के आधार पर वोट मांगने के लिए दायर याचिका पर दोषी ठहराया गया था और चुनाव आयोग ने चुनाव रद्द कर दिया था। इसलिए, 1996 में नेहरू नगर निर्वाचन क्षेत्र में फिर से चुनाव हुए। इस बार नवाब मलिक करीब साढ़े छह हजार वोटों से जीते।
नवाब मलिक ने 1999 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी(Samajwadi Party) से फिर से जीत हासिल की। इसके बाद कांग्रेस(Congress) और एनसीपी(NCP) सत्ता में आए। समाजवादी पार्टी से दो विधायक चुने गए थे। उन्हें भी मोर्चे का समर्थन करने के लिए अपने हिस्से की शक्ति मिली। इसके बाद नवाब मलिक गृह राज्य मंत्री बने।