जिद्द और जुनून के सहारे बना दिया इतिहास, माचिस बेचनेवाले बच्चे ने खड़ी कर दी अरबों की कंपनी…

23 मार्च, 1926 के दिन स्वीडन के एक छोटे से गांव मे गरीब किसान परिवार मे एक बच्चे का जन्म हुआ। जिसका नाम इंग्वार रखा गया। यह  स्वीडन के इतिहास का एक ऐसा दौर था जब स्वीडन बहुत गरीबी और बदहाली के दौर से गुजर रहा था | उस समय स्वीडन की अर्थव्यवस्था की हालत काफी खराब थी | इंग्वार के पिताजी खेती करते और उसी मे अनाज सब्जियाँ उगा कर अपना और परिवार का पेट पालते थे।

इंग्वार को लेट उठने की आदत थी और डिस्लेक्सिया नाम की बीमारी भी थी। जिससे उनके पिता जी परेशान थे। पिताजी अक्सर गुस्से मे बोल देते की तू इतना लेट सो कर उठता हैं और पढ़ाई मे भी कमजोर हैं। ऐसा ही रहा तो तू जिंदगी मे कुछ नहीं कर सकता।

पैसा कमाने के लिए 10 साल की उम्र मे ही वह आस पास के गांव मे भी माचिस बेचने जाने लगा। वह जब 12 साल का हुआ तो अपनी इस आय से बड़ी कक्षा का खर्च निकालना मुश्किल हो गया। तब इंग्वार ने अपनी आय को और बढ़ाने के लिए कुछ डेकोरेशन वाले प्रोडक्ट भी खरीद कर बेचने शुरू कर दिये साथ ही साथ बोल पेन और पेन्सिल भी बेचने लगा।

पिता जी के साथ काम करते करते इंग्वार को लकड़ियों की अच्छी किस्म की पहचान थी। वो अपने पिता की मदद से लकड़ियों को लोकल मेनुफेक्चरिंग फैक्ट्री मे दे कर फर्नीचर तैयार करवाने का ऑर्डर देता। फिर उन फर्नीचर को कम मार्जन पर बाजार मे बेच देता। इंग्वार के फर्नीचर की गुणवत्ता को देखते हुए बाजार मे इंग्वार के फर्नीचर की डिमांड खूब बढ़ने लगी। माल अब बड़ी बड़ी गाड़ियों मे जाने लगा। इसके बाद इस बन्दे ने दूसरे देशों से कई ऐसे सप्लायर ढूंढ़ लिए जहाँ वो बहुत सस्ते मे माल बनवा सकता था।  इंग्वार ने अपने फर्नीचर्स ब्रैंड का नाम रखा IKEA Furnishing यहीं नाम हैं कम्पनी का।

फर्नीचर को लेकर लोगो की जरूरतों को देखते हुए इंग्वार के मन मे सबसे पहली बार फोल्डिंग फर्नीचर का क्रिएटिव आइडिया आया। यह फर्नीचर लोगो मे बहुत लोकप्रिय हुआ और जबर्दस्त डिमांड हुई। इंगवार की 91 की उम्र मे ही मृत्यु हो गई। आज इनके बेटे और पोते इनके इस बिज़नेस को अच्छे से आगे बढा रहे हैं। इनका फर्नीचर्स IKEA के नाम से पहचाना जाता हे।

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