पुरुष द्वारा समागम के पश्चात् स्त्री को गर्भ न ठहरना बांझपन कहलाता है। वस्तुतः स्त्री पूर्णता तभी प्राप्त करती है, जब वह मां बनती है। जो स्त्री विवाहोपरांत बांझपन से निराशा, हीन भावना तथा कुंठा की उत्पत्ति होती है मातृत्व सुख से वंचित रहती है, वह समाज में तिरस्कृत नजरों से देखी जाती है। परंतु ऐसा नहीं है कि वह मां न बन सके। यदि उचित उपचार किया जाए तो बांझ स्त्री भी मां बन सकती है।
कारण: स्त्रियों को कुछ विशेष कारणों से गर्भ नहीं ठहरता शारीरिक कमजोरी, जरायु में गांठ, जरायु का टेढ़ा होना, योनि का छोटी होना, मासिक धर्म में गड़बड़ी, बहुत अधिक सम्भोग, जननेन्द्रिय की बीमारी, शरीर में चर्बी का बढ़ जाना आदि स्थितियों में संतान उत्पन्न करने की शक्ति नहीं रहती।
पहचान: इस रोग में स्त्री को मासिक धर्म ठीक से नहीं होता। ऐसा लगता है, जैसे गर्भ में सुइयां चुभ रही हों। कभी-कभी गर्भाशय में पीड़ा भी होती है। सम्भोग करते समय सब कुछ ठीक-ठाक रहने पर भी गर्भ नहीं ठहरता गर्भ ठहरने का मार्ग बहुत खुश्क, कमजोर तथा खुजली पैदा करने वाला रहता है। गर्भ में फुंसी, जलन, सूजन आदि भी मालूम पड़ती है।
नुस्खे:
यदि गर्भ न ठहरता हो तो मोठ की चपाती खानी चाहिए। प्रतिदिन स्त्री को चुकंदर का रस दो चम्मच की मात्रा में सुबह निहार पीना चाहिए।
यदि गर्भाशय में किसी प्रकार की खराबी हो तो एक चम्मच मेथी के चूर्ण में थोड़ा-सा गुड़ मिलाकर प्रतिदिन खाना चाहिए। कुछ ही दिनों में गर्भाशय ठीक हो जाएगा।
स्त्री को निहार मुंह बकरी के दूध का सेवन करना चाहिए। सुपारी तथा नागकेसर 10-10 ग्राम की मात्रा में कूट-पीसकर कपड़छन कर लें। इसमें से 6 माशे यानी एक चुटकी चूर्ण प्रतिदिन स्त्री को देना चाहिए। इससे गर्भाशय के विकार निकल जाते हैं और स्त्री को गर्भ ठहर जाता है।
मासिक धर्म की अवधि में असगंध का काढ़ा बनाकर पीने से भी सन्तानोत्पत्ति की शक्ति आ जाती है।
गूलर की जड़ की छाल का काढ़ा एक कप की मात्रा में रोज पीने से काफी लाभ होता है। गर्भ न ठहरने पर प्रतिदिन दो बार सौंफ का अर्क पिएं।
6 ग्राम सौंफ का चूर्ण देशी घी के साथ तीन माह तक सेवन करें। निश्चित ही गर्भधारण हो जाएगा। यदि स्त्री मोटी हो तो 6 ग्राम शतावर का चूर्ण 12 ग्राम घी तथा दूध के साथ खाने से गर्भ ठहर जाता है।
नागदमी बूटी को गाय के घी में मिलाकर योनि के भीतर लेप करें। इससे बंधत्व की खराबी दूर होती है। यह कार्य स्त्री को 40 दिन करना चाहिए।
बरगद की जटा धोकर छाया में सुखा-पीस लें। मासिक धर्म के दिनों में यह चूर्ण रोज दो चम्मच की मात्रा में ठंडे पानी से 5-6 दिन तक सेवन करें। इससे गर्भधारण करने की शक्ति आ जाती है।
चार चम्मच सरसों पीसकर रख लें। मासिक धर्म शुरू होने के चौथे दिन से एक चम्मच रोज फंकी मारकर पानी पी लें। गर्भ ठहर जाएगा।