चक्कर आने को हम रोग मान बैठे हैं, किन्तु यह रोग न होकर मस्तिष्क की व्याधि है। जब कभी दिमाग में खून की मात्रा पूर्ण रूप से नहीं पहुंचती तो दिमाग में की नसें शिथिल पड़ जाती हैं। यही शिथिलता चक्कर लाती है। चक्कर कुछ देर तक रहता है। कभी-कभी कमरे में अधिक देर तक रहने, घुटन भरे वातावरण में ठहरने, बहती नदी को देर तक देखने से भी चक्कर आने लगते हैं।
कारण: चक्कर आने का मुख्य कारण मस्तिष्क की कमजोरी है। इसके अलावा रक्तचाप में अचानक कमी आने से भी सिर घूमने लगता है। अजीर्ण, खून की कमी, स्त्री से अधिक मैथुन करना, स्त्रियों को मासिक धर्म खुलकर न होना आदि कमियों के कारण चक्कर आने लगते हैं। कभी-कभी अधि रीरिक मेहनत करने से मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव पड़ता है और चक्कर आ जाता है।
पहचान: शुरू में सिर घूमता है और फिर थोड़ी देर बाद चक्कर आने बंद हो जाते हैं। जो लोग दूषित वातावरण में रहते हैं या जिनका शरीर बहुत कमजोर होता है, उन्हें थोड़ा-सा काम करने के बाद भी चक्कर आने लगते हैं। कुछ लोग एक स्थान पर देर तक खड़े नहीं रह पाते। उनको चक्कर आने लगते हैं और वे वहीं गिर पड़ते हैं। तेज धूप, कड़ाके की ठंड या अधिक पसीना आने पर भी चक्कर आ जाते हैं। इसमें आंखों के सामने अंधेरा, चारों तरफ की चीजें घूमती हुई और मन में एक प्रकार की सुस्ती-सी मालूम पड़ती है। कई बार चक्कर खाकर गिर पड़ने के बाद व्यक्ति बेहोश भी हो जाता है।
नुस्खे:
एक गिलास दूध में एक चम्मच देशी घी, एक चम्मच पिसी मिश्री तथा तुलसी की चार पत्तियां डालकर पी जाएं। चक्कर आना बंद हो जाएगा। मानसिक रोगों का शमन करता है खरबूजा CI खरबूजे के बीज को घी में भून लें। फिर इनको पीसकर 6 ग्राम से 10 ग्राम की मात्रा मे सुबह शाम सेवन करे।
10 ग्राम कालीमिर्च को 250 ग्राम शक्कर में मिलाकर देशी घी में भूनकर कतली जमा लें। फिर 5 ग्राम की एक कतली सुबह दूध के साथ सेवन करें। गेहूं के 10 ग्राम चोकर में कालीमिर्च के चार दाने पीसकर मिलाएं। फिर इसका काढ़ा बनाकर सेवन करें। तुलसी, कालीमिर्च तथा जौ-तीनों का काढ़ा बनाकर पीने से सिर के चक्कर जाते रहते हैं।
मुनक्के के कुछ दाने तवे पर भूनकर उनमें नमक लगाकर चबा-चबाकर कुछ दिनों तक खाएं। 10 ग्राम सौंफ का चूर्ण 250 ग्राम खांड़ में मिलाकर रख लें। इसमें से दो चम्मच चूर्ण खाकर पानी पी लें। यदि पेट में अधिक गैस (वायु) बनने के कारण सिर में चक्कर आ रहे हों तो गुनगुने पानी में आधा नीबू तथा एक चुटकी खाने वाला सोडा डालकर पी जाएं। चक्कर आने बंद हो जाएंगे।
पिसी हुई हल्दी पानी में मिलाकर माथे पर लेप करने से मस्तिष्क के चक्कर दूर हो जाते हैं। धूप में थोड़ा-सा पानी रखकर उसमें 10-15 मुनक्के डाल दें। तीन-चारघंटे में पानी गरम हो जाएगा और मुनक्के की पकौड़ी बन जाएगी। अब मुनक्कों को पानी में मथकर जरा-सा शहद डालकर शरबत पी जाएं।