खजूर मुख्यतः आरम्भिक काल में अरब देशों का मुख्य भोजन रहा है, परंतु आज होता है। खजूर सूखे और ताजा फलों, दोनों रूपों में प्रयोग किया जाता है। विशेषता यह है कि इसके ताजे फल को खजूर व सूखे फल को छुहारा कहते हैं। इसके आकार-प्रकार के संबंध में प्रायः सभी जानते हैं। इस संबंध में विशेष कुछ कहने की आवश्यकता नहीं। पेड़ पर पका हुआ ताजा खजूर बहुत स्वादिष्ट, रोचक और शक्तिवर्धक होता है। जिसमें 60 से 70% तक शर्करा होती है। परंतु सूखने पर इसका भार लगभग 30 से 40% तक कम हो जाता है।
खाद्य सामग्री के रूप में यह एक बहुत ही पोषक फल है। इसमें विद्यमान शर्करा अथवा ग्लूकोज फल-शर्करा के रूप में विद्यमान रहती है। इसमें विद्यमान शर्करा की विशेषता यह है कि यह शरीर में खाते ही जज्ब हो जाती है। इसमें कार्बोहाइड्रेट की मात्रा 75% से अधिक होती है। विटामिन ‘सी’ और विटामिन ‘बी’ कॉम्पलेक्स, कैल्शियम, फास्फोरस और लोहे की मात्रा भी काफी रहती है। इससे सिद्ध है कि यह कितना पोषक आहार है।
खजूर को प्रायः गुठली निकालने के बाद दूध से खाने का विधान है। परंतु कुछ लोग खजूर को अंदर-बाहर से साफ करके मक्खन भरकर भी खाते हैं। इस प्रकार इसका शक्तिवर्धक गुण और भी बढ़ जाता है। खजूर के सूखे फल को दूध में उबालकर अथवा अन्य अनेक प्रकार से पकाकर उपयोग में लाया जाता है। छुहारे अथवा खजूर को दूध में उबालकर पीने से इसके शक्तिवर्धक गुणों में और भी वृद्धि होती है। खजूर के शक्तिवर्धक गुण के अतिरिक्त इसमें अन्य अनेक गुण भी हैं जिनसे अनेक रोग दूर करने में सहायता मिलती है।
कब्ज या पेचिश: खजूर में विद्यमान रेशा कब्ज को दूर करने में सहायक होता है। इसके खाने से कमजोर आंतों को बल मिलता है। कब्ज दूर करने के लिए इसे अनेक प्रकार से प्रयोग में लाया जा सकता है। आवश्यकता के अनुसार खजूर पानी से साफ करके कांच के गिलास में भिगो दें। प्रातःकाल मसलकर अच्छी प्रकार शर्बत के समान पेय बना लें। इस प्रकार कुछ दिन पीते रहने से कब्ज दूर हो जाता है। कब्ज दूर करने के लिए इसके प्रयोग का दूसरा तरीका यह है कि इसे दूध के साथ खाया जाए अथवा दूध में उबालकर इसका प्रयोग किया जाए। प्रातः और सायंकाल नियमित रूप से 3-4 भीगे हुए छुहारे अथवा खजूर खाकर गरम पानी पीने से भी कब्ज दूर हो जाती है।
हृदय की दुर्बलता: हृदय की दुर्बलतावाले रोगियों के लिए खजूर महत्त्वपूर्ण औषधि का काम करता है। पेट अथवा जिगर की कमजोरी तथा शक्तिवर्धक रूप में इसे पानी में भिगोकर प्रातःकाल चबाकर खाने और दूध पीने से लाभ होता है। खजूर के उपयोग से हृदय को बल मिलता है और नया रक्त पैदा करने में सहायता मिलती है। सूखी खांसी और दमा के रोगियों के लिए भी इसका प्रयोग लाभकारी सिद्ध होता है। इसके प्रयोग से श्वासनली की सूजन समाप्त होती है और सांस लेने में सुविधा होती है।
बच्चों के लिए: जो बच्चे बिस्तर पर पेशाब कर देते हैं, उन्हें कुछ दिन तक रात्रि के समय सोने से पूर्व दो छुहारे खिलाकर सुलाने से लाभ होता है। इसके अतिरिक्त भारत ही नहीं, कुछ अन्य देशों में भी एक छुहारा साफ करके डोरी में डालकर बच्चे के गले में बांध दिया जाता है। इस प्रकार बच्चा हर समय उसे चूसता रहता है। इससे उसके मसूड़े मजबूत होते हैं, दांत आसानी से निकलते हैं। दांत निकलने के समय दस्त भी नियंत्रण में रहता है। उसमें थोड़ा शहद मिलाकर बच्चे के दांत निकलने की स्थिति में उसे चबाने को देते खजूर को पीसकर रहें तो दांत निकलने से संबंधित परेशानियों से बच्चा बचा रहता है।
बूढ़ों के लिए: व्यक्ति की आयु बढ़ने के साथ-साथ उसके अंग कमजोर होने लगते हैं। पेट के साथ-साथ मूत्राशय भी कमजोर हो जाता है और बूढ़े लोग बार-बार पेशाब करने जाते हैं। यदि उन्हें नित्य-नियम से 2-3 छुहारे खाने के लिए दिए जाएं तो उनके शरीर की सामान्य शक्ति बनी रहती है और उन्हें बार-बार पेशाब के लिए उठना नहीं पड़ता। इन लोगों को कम से कम दिन में दो बार छुहारे खाने को दें और रात्रि को एक दो छुहारे खिलाकर साथ में दूध पीने को दें। इससे वृद्ध लोगों को अनेक लाभ होंगे। उनके शरीर में आवश्यक गर्मी बनी रहेगी। प्रातःकाल मल साफ होगा। आंतों की गड़बड़ियां दूर होंगी, साथ ही उनकी आंतों और हृदय को बल मिलेगा।
शक्ति का विकास: चार-पांच छुहारों अथवा खजूरों को रात्रि के समय गुठली निकालकर दूध में भिगो दें। प्रातःकाल दूध समेत मिक्सी में डालकर भली प्रकार घोट करके पीने से मर्दाना शक्ति का विकास होता है। इसे और अधिक उपयोगी बनाने के लिए इसमें चुटकीभर दालचीनी का चूर्ण और शहद मिलाकर प्रयोग करने से शक्ति का और अधिक विकास होता है। शरीर हृष्ट-पुष्ट बनता है।
दुर्बल और पतले शरीरवाले व्यक्तियों को दूध में छुहारे मिलाकर प्रयोग करना लाभदायक है। दुर्बल व्यक्तियों के दुर्बल शरीर को यह कुछ ही दिनों में शक्तिशाली बना देता है। उनका शरीर मोटा हो जाता है और शरीर में बल की वृद्धि होती है। छुहारे अथवा खजूर की विशेषता यह है कि इससे बल और वीर्य ही नहीं बढ़ता बल्कि मांस-पेशियां भी विकसित होती हैं। कमजोर बच्चों को भी दूध में भीगा हुआ छुहारा उसी दूध में रगड़कर पिलाने से बच्चे की निर्बलता दूर हो जाती है और उसका शरीर में सुडौल बनता दिखाई देता है।