कई रोगों मे डॉक्टर भी इस फल का सुजाव देते हे, प्राचीन नाम अमृत और अमृतफल था….

अमरूद वर्ष में दो बार फल देता है सर्दियों में और बरसात में। सर्दियों का अमरूद अधिक लाभदायक होता है क्योंकि बरसात के अमरूद में कीड़ा बहुत जल्दी पड़ जाता है। सर्दियों में व्यक्ति प्रायः गरिष्ठ भोजन अधिक करता है और सोता भी अधिक है। अतः उसे कब्ज आदि पेट के रोग घेर लेते हैं। अतः यदि सर्दियों में अमरूद का खूब प्रयोग किया जाए तो कुछ भी हानि नहीं होती। बरसात में कीड़ा जल्दी पड़ जाता है, अतः देखभाल कर खाना चाहिए। वैसे बरसात में अमरूद न खाना ही अच्छा है क्योंकि इससे हैजा होने की संभावना रहती है।

अमरूद का छिलका बहुत पतला होता है। इसके अधिकांश लवण और विटामिन एकदम छिलके के नीचे रहते हैं, अतः इसे छीलना नहीं चाहिए। वैसे भी इसका छिलका इतना पतला होता है कि इसे छीलने की आवश्यकता नहीं होती, परन्तु धो अवश्य लेना चाहिए। अमरूद को भोजन के साथ भी खा सकते हैं और चाट के रूप पपीता, केला और खीरा आदि के साथ भी। परन्तु खाली पेट अथवा भोजन से पूर्व अमरूद खाना ठीक नहीं इससे पेट दर्द हो जाता है।

अन्य फल अमरूद एक ऐसा फल है जो सस्ता होने के कारण गरीब-अमीर सभी को आसानी से उपलब्ध होता है। अनेक फल विशेषज्ञों का कहना है कि अमरूद के सेव के समान माने जाते हैं। अगस्य भारत वर्ष का एक प्रसिद्ध फल है। इसका प्राचीन नाम अमृत और अमृतफल था। बनारस में अभी भी इसे अमृत नाम से पुकारा जाता है। संभवतः अमृत का ही अपभ्रंश अमरूय बना है।

अमरूद के दो भेद है, लाल एवं सफेद। इन दो भेदों ने अमरूद के सारे भेदों को अपने आप में समाहित कर लिया है।

पेट के रोग: अपच, अग्निमांद्य और अफारा के लिए अमरूद उत्तम औषधि है। इन रोग वालों को भोजन के बाद 250 ग्राम अमरूद खाना चाहिए। अन्य लोगों को भोजन से पहले खाना चाहिए।

कफ- युक्त खांसी: कफ-युक्त खांसी हो तो अमरूद को आग में भूनकर खाने से लाभ होता है। बहुत पुरानी सर्व-जुकाम में तीन दिन तक केवल अमरूद खाएं, राहत मिलेगी

भांग का नशा: भांग का नशा अमरूद से या इसके पत्तों का रस पिलाने से उतर जाता है।

दांतों की पीड़ा: अमरूद के पत्तों को चबाने से दांतों की पीड़ा दूर होती है। मसूढ़ों में दर्द, सुजन, दांतों में दर्द होने पर अमरूद के पत्तों को उबालकर कुल्ले करें। दांतों का दूर होगा कीड़े नष्ट हो जाएंगे।

कब्ज: अमरूद खाने से आंतों में तरावट आती है और कब्ज दूर होती है। इसे रोटी खाने से पहले ही खाना चाहिए। कब्जवालों को नाश्ते में अमरूद लेना चाहिए। पुरानी कब्ज के रोगियों को प्रातः सायं अमरूद खाना चाहिए। इससे पाखाना फ आएगा। अजीर्ण और गैस दूर होगी भूख लगेगी। इसे सेंधा नमक के साथ खाने से पाचन शक्ति बढ़ती है।

बवासीर: बवासीर के कण को दूर करने के लिए प्रातः भूखे पेट अमरूद खाना उत्तम  है। बवासीर का एक प्रमुख कारण कब्ज भी है। कब्ज दूर होने से बवासीर में भी आराम आता है।

दिमागी बेचैनी: इलाहाबादी मीठे अमरूद पाव भर प्रातः और इतने ही पुनः शाम को पांच बजे नित्य छः सप्ताह खाएं। साथ में नींबू, काली मिर्च, नमक स्वाद के लिए अमरूद पर डाल सकते हैं। इससे मस्तिष्क की मांसपेशियों को शक्ति मिलेगी, गर्मी निकल जाएगी और बेचैनी दूर होगी। अमरूद खाने से मानसिक चिंताएं भी दूर होती हैं।

पुराने दस्त: अमरूद की कोमल पत्तियां उबालकर पीने से पुराने दस्त ठीक हो जाते हैं। आंववाले दस्तों में, आंतों में सूजन आ जाने, घाव हो जाने पर 2-3 महीने लगातार 250 ग्राम अमरूद खाते रहने से दस्त ठीक हो जाते हैं। अमरूद में एक एसिड होता है, जिसका प्रधान काम है घाव भरना। इससे आंतों के घाव भरकर आंतें स्वस्थ हो जाती हैं।

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