‘सोने का द्वीप’ नाम से प्रसिद्ध यह जगह इंडोनेशिया के प्राचीन इतिहास में श्रीविजया शहर कहा जाता था। एक समय में यह बेहद रईस शहर था। यहां से लोगों को सोने के जेवर, अंगूठियां, बौद्ध मूर्तियां और चीन के कीमती सिरेमिक बर्तन मिले हैं। कई सालों से गायब ये ‘सोने का द्वीप’ इंडोनेशिया के पालेमबैंग प्रांत की मूसी नदी में मिला है। नदी की तलहटी से सोने के आभूषण और कीमती वस्तुएं मिल रही हैं।
इस द्वीप को लेकर इंडोनेशिया में लोक कथाएं चलती हैं कि यहां पर इंसान खाने वाले सांप रहते हैं। ज्वालामुखी फटता रहता है। यह समुद्री व्यापारिक मार्ग के बीच में पड़ता था। यह दुनिया के पूर्व और पश्चिम के देशों को व्यापारिक स्तर पर जोड़ता था। अब यही द्वीप मूसी नदी की तलहटी में मिला है। कहा जाता है कि यहां पर मलाका की खाड़ी पर राज करने वाले राजाओं ने का साम्राज्य था। 1390 में श्रीविजयन राज के राजकुमार परमेश्वरा ने वापस अपने इलाके पर कब्जा जमाने का प्रयास किया था। लेकिन इसे पड़ोसी जावा राजा ने हरा दिया था। इसके बाद श्रीविजया चीनी समुद्री डकैतों के लिए स्वर्ग बन गया था।
श्रीविजया शहर के स्वर्णिम दिनों का अब कोई इतिहास या अवशेष तो नहीं मिलता लेकिन इतिहासकारों का दावा है कि मूसी नदी के नीचे वह साम्राज्य हो सकता है। क्योंकि गोताखोर लगातार नदी की तलहटी से सोने के आभूषण, मंदिर की घंटियां, यंत्र, सिक्के, सिरेमिक बर्तन और बौद्ध मूर्तियां निकाल रहे हैं।
अब तक गोताखोरों को सोने की तलवार, सोने और माणिक से बनी अंगूठी, नक्काशीदार जार, वाइन परोसने वाला जग और मोर के आकार में बनी बांसूरी मिली है। मरीन आर्कियोलॉजिस्ट सीन किंग्सले ने कहा कि आजतक श्रीविजया को खोजने के लिए सरकार की तरफ किसी तरह का खनन कार्य नहीं किया गया है। न तो नदी के अंदर न ही उसके आसपास। जितने भी आभूषण या कीमती वस्तुएं इस नदी से निकलीं, उन्हें गोताखोरों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काम करने वाले निजी लोगों को बेंच दिया।