आज हम बात करेंगे भारत की वह खिलाड़ी जिन्होने इटेरनेशनल रेस जगत मे पूरी दुनिया को अपना लोहा मनवाया| बहुत ही लंबे अरसे के बाद रेस की दुनिया मे फिर से एक ऐसी ही महान खिलाड़ी ने जन्म लिया | जिसका नाम है हिमा दास।
2 जनवरी, 2000 मे असम राज्य के एक छोटे से गांव कांदूमरी मे उनका जन्म हुआ था। हिमा दास ने रेस की दुनिया मे फटे हुए जूतो के साथ शुरुआत की थी। जीवन मे कई मुसीबते आई जिनका सामना और संघर्ष करते हुए यह लड़की बिना हार माने आज इस मुकाम तक पहुंची है। इनके पिता कुछ अनाज सब्जी बेच कर घर का खर्च चलाते थे।
बचपन से ही हिमा दास की खेल कूद के प्रति बहुत रूचि थी। स्कूल के स्पोर्ट्स टीचर ने हीमा की बेहतरीन प्रदर्शन और कमाल का स्टेमिना देखते हुए एथलीट्स खेलने का प्रस्ताव रखा। इनकी बातों से मोटिवेट होकर उसने तुरंत स्पोर्ट्स टीचर की बात मान ली। लेकिन अचानक जब उनकी नजर अपने फटे हुए जूतो पर गई तो मन अंदर से बहुत दुखी हो गई। उनके पिताजी नए जूते औए ट्रेनिंग का खर्च उठा पाने मे असमर्थ थे। हिमदास ने ठान लिया की वह इन्ही जूतो मे ट्रेनिंग करेगी और रेस के लिए दौड़ेगी|
अगले ही दिन हिमा उन जूतो को डाल कर पहुँच गई प्रेक्टिस मैदान मे एक नए जुनून के साथ | जूते भले ही मजबूत न थे लेकिन हिमा के हौसले बहुत मजबूत थे | 200 मीटर की रेस मे उन्होंने तीसरा स्थान हासिल किया। कोच निपुण दास हिमा दास को पहले 200 मीटर के ट्रेक पर दौड़ाते है। द्भुत स्टेमिनर और गति को देखते हुए कुछ निपुण दास समझ गए की हिमा 400 मीटर की रेस के लिए भी सही साबित होगी।
इसके बाद आगे चल कर इंडोशिया के जकार्ता मे हो रहे एशियन गेम्स मे हिमा दास ने दो गोल्ड मेडल और एक सिल्वर मेडल जीत कर भारत का नाम पूरी दुनिया मे रोशन कर चुकी थी | 2019 मे पोलेंड और चेक रिपब्लिक मे हो रहे अलग अलग जगह पर अंतराष्ट्रीय टूर्नामेंट मे 5 दिन मे हिमा दास ने 5 गोल्ड मेडल जीत कर इतिहास रच डाला। हिमा दास को श्री राष्ट्रपति महोदय द्वारा अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया |