हिंदू धर्म में देवी-देवताओं की पूजा के लिए अलग-अलग पूजन सामग्री निर्धारित की गई है, जिनका अपना-अपना महत्व है। सुपारी का इस्तेमाल विशेष तौर पर किया जाता है। सुपारी को देवताओं का प्रतीक माना जाता है। पूजा में इस्तेमाल कि जाने वाली छोटी सी सुपारी को पूजा विधान में देवी-देवताओं के आहवान और यज्ञ में स्थापना पूजन के लिए प्रयोग किया जाता है। जिसे बेहद शुभ माना जाता है। पूजा में सुपारी का इस्तेमाल करने से जीवन की सारी कठिनाइयां समाप्त होने लगती है।
हिंदू धर्म में पूजा की सुपारी का इतना महत्व है कि इसके बिना पूजा आरंभ नहीं होती। इसे जीवंत देवता का स्थान प्राप्त है। सुपारी में देवताओं का वास होता है। पूजा में रखी गई सुपारी को पूजा के बाद इधर-उधर न रखकर, पूजा स्थान या फिर लाल कपड़े में अक्षत के साथ बांधकर तिजोरी में रखें। पूजा में उपयोग की गई सुपारी को जल में प्रवाहित किया जाता है। सुपारी को कई ग्रहों का प्रतिनिधि भी माना जाता है।
खाने की सुपारी बड़ी और गोल होती है, लेकिन पूजा में इस्तेमाल की जाने वाली सुपारी छोटी और थोड़ी लंबी होती है। पूजा की सुपारी खाने की सुपारी से पूर्णता अलग होती है। पूजा की सुपारी का तल एकदम सपाट होता है, जिससे यह स्थापना कार्य को सरल बनाती है। पूजा की सुपारी का सेवन नहीं करना चाहिए।
पूजा में सुपारी के उपयोग से ब्रह्मा, यमदेव, वरूण देव और इंद्रदेव की उपस्थिति होती है। सुपारी में देवताओं का वास होता है। कोई भी पूजा पाठ या अनुष्ठान शुरू करने के पहले पूजा की सुपारी को पान के ऊपर विराजमान किया जाता है। सुपारी को देवताओं का प्रतीक मानकर पूजा संपन्न कि जाती है। सुपारी में मंत्रों उच्चारण कर देवताओं को स्थापित किया जाता है।