संघर्ष के बिना कामयाबी हाँसील नहीं होती। डोसा प्लाज़ा के मालिक प्रेम गणपति ने इस बात को सच साबित कर दिया। अपनी महेनत ओर धीरज से उन्होंने सिर्फ 200 रुपये से 30 करोड़ का साम्राज्य खड़ा कर लिया। उनका जन्म तमिलनाडु के तूतीकोरन जिले में स्थित गाँव नागलपुरम में हुआ था। पिता के कोयले व्यवसाय से घर चलता था। परिवार की आर्थिक तंगी के कारण वो हाई स्कूल से आगे नही पढ़ पाये।
वह चेन्नई में 250 रुपये महीने में एक कॉफ़ी शॉप में काम करने लगे। कॉफ़ी शॉप के मालिक का एक रिश्तेदार मुंबई से आया हुआ था और उसने उन्हें मुंबई में 1200 रुपये की पगार पर अच्छी नौकरी का सपना दिखाया जिसके लिए वो मान गये और उस व्यक्ति के साथ मुंबई जाने को तैयार हो गये। लेकिन मुंबई उतरते ही वह व्यक्ति इनको अकेला छोड़कर गायब हो गया।
उसके बाद मुंबई के वाशी इलाके के सतगुरु होटल में भी बर्तन धोने का काम मिला| उसके बाद होटल प्रेम सागर में टी-बॉय के रूप में काम किया। फिर एक ग्राहक के साथ सांझेदारी में एक चाय की दुकान खोल ली जिसमे सारा पूँजी निवेश उसी व्यक्ति का था। दुकान अच्छी चल रही थी तो उस व्यक्तीने प्रेम को निकाल दिया। फिर अपनी चाय की दुकान लगाई पर फिर से किस्मत में उनका साथ नही दिया। उन्होंने इतनी असफलताओ के बाद भी हार नही मानी।
उन्होंने किराये की जगह पर एक साउथ इंडियन स्टाल लगा ली पर उन्हें शुरू में कोई भी साउथ इंडियन व्यंजन बनाना नही आता था | शुरुआत में थोड़ा-थोड़ा बिगड़ा बनाते-बनाते, गलती करते-करते और दूसरों को देखकर अच्छी तरह से और बहुत साफ़-सफाई से इडली-डोसा बनाने लगे | फिर उनका स्टाल भी बहुत अच्छा चलने लगा।
उन्होंने अपने साउथ इंडियन व्यंजनों के साथ चायनीज़ आइटम का टेस्ट करना शुरू किया जो लोगो को खूब पसंद आने लगा। उन्होंने Dosa Plaza का ट्रेडमार्क रजिस्टर करा लिया और साथ ही कई व्यंजनों का भी कॉपीराइट व ट्रेडमार्क करवाया। उन्होंने मुंबई के सेण्ट्रल मॉल में भी अपना एक सेंटर खोला। आज भारत के अलावा विश्व के और भी कई देशो में आउटलेट्स है।