नपुंसकता से निजात पाने के लिए अपनाए ये घरेलू नुस्खे, मिलेगी घोड़े जैसी ताकत…

स्वस्थ वीर्य ही मनुष्य का पुरुषार्थ है। स्त्री-भोग का आनंद स्तम्भन शक्ति में निहित है। बहुत अधिक मैथुन करने, असमय मैथुन करने, खट्टे, कड़वे, रूखे, कसैले, खारे एवं चटपटे पदार्थ खाने, मानसिक तनाव रखने तथा अप्राकृतिक साधनों से वीर्य त्यागने पर ही व्यक्ति में नपुंसकता उत्पन्न होती है।

कारण: अधिक मात्रा में स्त्री सम्भोग, हस्तमैथुन की आदत, चोट लगना, शरीर में चर्बी बढ़ना, कोई गम्भीर रोग, अण्डकोश का रोग, बहुमूत्र, पेट सम्बंधी बीमारी, अत्यधिक शराब पीना तथा अफीम खाना आदि कारणों से नपुंसकता का रोग उत्पन्न हो जाता है। यह शारीरिक होने के साथ-साथ मानसिक अधिक है।

पहचान: नपुंसकता के कारण व्यक्ति की मैथुन शक्ति खत्म हो जाती है। वह थोड़ी-सी उत्तेजना के बाद ही स्खलित जाता है। रोगी का शिश्न कमजोर पड़ जाता है। उसके मन में हर समय यही भय समाया रहता है कि वह स्त्री को संतुष्ट तथा तृप्त नहीं कर पाएगा। उसका श्वास फूलने लगता है और शरीर में बेवजह पसीना आ जाता है। मानसिक अशान्ति के कारण उसकी इन्द्रिय में उत्थान नहीं आता। रोगी पुरुष स्त्री के सामने अपने को लज्जित मानने लगता है। इसी कारण उसे रात को नींद नहीं आती।

नुस्खे:

  • दो चम्मच भैंस घी प्रतिदिन काली मूसली के साथ खाएं।
  • सुबह के नाश्ते में दो छुहारे और थोड़ी-सी किशमिश दूध के साथ लें।
  • आम की थोड़ी-सी मंजरी को सुखाकर चूर्ण बना लें। 3 ग्राम चूर्ण रात को सोते समय आधा किलो दूध के साथ सेवन करें।
  • 100 ग्राम मूली के बीज महीन पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें से 5 ग्राम चूर्ण मक्खन या मलाई के साथ सुबह-शाम खाएं। यह पुरुषत्व बढ़ाने वाला एक बेहतरीन नुस्खा है।

 

  • सेंधा नमक एक चुटकी, कबूतर की बीट 5 ग्राम तथा शहद दो चम्मच तीनों को मिलाकर सेवन करने से शिश्न में उत्थान आने लगता है। प्रतिदिन गाजर का अर्क एक कप की मात्रा में कुछ दिनों तक पिएं।
  • 3 ग्राम आक के फूलों का रस घी के साथ पकाकर खाएं। यह नपुंसकता दूर करने का बढ़िया नुस्खा है।
  • एक बताशे में चार बूंद बरगद का दूध डालकर सेवन करें।
  • दो चम्मच लहसुन का रस थोड़े से शहद में मिला लें। इसके दो भाग करें। एक भाग सुबह और एक भाग शाम को चाट लें।
  • शतावरी चूर्ण 15 ग्राम, सफेद मूसली का चूर्ण 10 ग्राम, मुलहठी का चूर्ण 10 ग्राम तथा अकरकरा चूर्ण 3 ग्राम-सबको मिलाकर एक शीशी में भर लें। इसमें से 5-5 ग्राम चूर्ण दूध के साथ सुबह-शाम सेवन करें।

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