बचपन में हर कोई बड़ा होकर डॉक्टर, इंजीनियर, पायलट, साइंटिस्ट बनने का सपना देखता है। लेकिन अक्सर जीवन में ऐसी परिस्थितियां आती हैं जो उनके सपनों को चकनाचूर कर देती हैं। इसके बावजूद वे उस क्षेत्र में ऐसे काम करते हैं कि उनके काम की तारीफ होती है और दुनिया उन्हें सम्मान की नजर से देखती है। ऐसे ही एक व्यक्ति हैं भारत के एक सफल उद्यमी रतन टाटा।
रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को मुंबई में हुआ था। रतन टाटा टाटा समूह के संस्थापक जमशेद जी टाटा के पोते और नवल होर्मसजी टाटा के पुत्र हैं। रतन टाटा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा शिमला के जॉन कॉनन और मुंबई के कैथेड्रल स्कूल से प्राप्त की। रतन टाटा के पास कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से आर्किटेक्चरल स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग में बी.आर्क की डिग्री और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से एडवांस मैनेजमेंट की डिग्री है।
उन्होंने कहा कि मेरे पिता चाहते थे कि मैं इंजीनियर बनूं।इसलिए मैंने अपने पिता की इच्छा को पूरा करने के लिए इंजीनियरिंग का कोर्स किया और टाटा स्टील के जमशेदपुर प्लांट में इंटर्नशिप के लिए आया। लेकिन मुझे आर्किटेक्ट न बन पाने का अफसोस नहीं है।
युवाओं को कठिन परिस्थितियों से निपटने की सलाह देते हुए रतन टाटा ने कहा कि जीवन में कई ऐसे मोड़ आएंगे जो आपकी इच्छा के अनुरूप नहीं होंगे। लेकिन परिस्थिति से परेशान होने की बजाय उसका सामना करें।जब समय सही हो, वही करें जो आपको पसंद हो। आज मुझे लगता है कि मेरे पिता ने मेरे लिए जो फैसला किया वह सही था।
रतन टाटा ने अपने 21 साल के कार्यकाल में टाटा समूह के राजस्व में 40 गुना और टाटा समूह के मुनाफे में 50 गुना की वृद्धि की। इसके अलावा रतन ने जैसे ही टाटा की बागडोर संभाली, टाटा समूह ने टाटा टी ब्रांड के तहत टीटले, टाटा मोटर्स के तहत जगुआर लैंड रोवर और टाटा स्टील के तहत कोरस को खरीद लिया।
रतन टाटा सामाजिक तौर पर भारत के कुछेक सबसे सम्मानित व्यक्तियों में से एक हैं । रतन टाटा द्वारा कही गई बातें संपूर्ण भारतवर्ष में सफलता प्राप्त करने के इच्छुक व्यक्तियों द्वारा पुरी धार्मिक पवित्रता के साथ स्वीकार की जाती है।