लोग अक्सर कई बातों को लेकर संशय मे रहेते है। एक प्रकार का डर भी है। इनको लेकर लोग अक्सर तनाव में रहेते हे। भय, संदेह और तनाव, दुखद रूप से अक्सर हमारे मन-मस्तिष्क को तकलीफ देते हैं। ऐसा कई बार लगातार होता रहता है। इसका एक कारण यह भी है कि हम दरअसल अपनी सच्ची दिव्य प्रकृति को भूल गए हैं। हमारे अंदर कोई गहरी व स्थाई कमी है। एसा लोग महेसुस करने लगे हे।
यही कारण है कि हममें से अधिकतर लोग आत्मविश्वास व साहस से इस दुनिया को अपनाने के बजाय, हीनता और असुरक्षा की भावना से घिरे हुए हैं। इसी कारण हम खुद को भय और दुख से घिरा हुआ पाते हैं। आप हमेशा यह बात याद रखें कि ईश्वर ने आपको न सिर्फ बनाया है, बल्कि अपने अंश से बनाया है। इसका अर्थ यह है कि आप जो भी हैं, अपने आपमें संपूर्ण हैं। इससे आपके जीवन में व्याप्त तनाव दूर होगा।
आप क्या करती हैं या उसमें आप कितनी सफल हैं, इससे आपकी पहचान नहीं हैं इसलिए कभी भी खुद को छोटा व कमजोर न समझें और अपनी दिव्य क्षमता को पहचानें। साथ ही खुद के बारे में कम और दूसरों के बारे में ज्यादा सोचें। अगर आप इस पर अपना ध्यान केंद्रित करें कि अपने समय व प्रतिभा द्वारा आप दूसरों की सेवा किस प्रकार कर सकती हैं, तो ईश्वर भी मानवता की भलाई के लिए आपका साथ देंगे।