पेट में अम्ल का बढ़ जाना कोई रोग नहीं माना जाता, लेकिन इसकी वजह से बहुत सी व्याधियां उत्पन्न हो जाती हैं। यदि समय रहते ये व्याधियां दूर नहीं की जातीं तो मनुष्य हमेशा के लिए कई रोगों से घिर जाता है। यह रोग वास्तव में पित्ताशय से पैदा होता है। इसीलिए पित्त को बढ़ाने वाले पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।
कारण: जो लोग हमेशा विरोधी पदार्थ जैसे-दूध-मछली, घुइयां-पूड़ी, दूध-दही, खट्टा-मीठा, कड़वा-तिक्त आदि खाते रहते हैं, उनको अम्लपित्त का रोग बहुत जल्दी हो जाता है। इसके अलावा जो व्यक्ति दूषित भोजन, खट्टे पदार्थ, आमाशय में गरमी उत्पन्न करने वाले तथा पित्त को बढ़ाने वाले भोजन का सेवन करते हैं, उन्हें यह रोग होता है। अधिक धूम्रपान करने तथा शराब, गांजा, भांग, अफीम आदि का सेवन करने वाले लोगों को भी अम्लपित्त घेर लेता है।
पहचान: इस रोग में भोजन ठीक से नहीं पचता। अचानक थकावट का अनुभव होता है। हर समय उबकाई आती रहती है। खट्टी डकारें आती हैं। शरीर में भारीपन मालूम पड़ता है। गले, छाती और पेट में जलन होती है। भोजन करने की बिलकुल इच्छा नहीं होती। जब पित्त बढ़ जाता है तो वह ऊपर की ओर बढ़ने लगता है। उस समय पित्त की उल्टी हो जाती है। पित्त में हरा, पीला, नीला या लाल रंग का पतला पानी (पित्त) बाहर निकलता है। पित्त निकल जाने के बाद रोगी को चैन पड़ जाता है। कई बार खाली पेट भी पित्त बढ़ जाता है और उल्टी हो जाती है। इस रोग में हर समय जी मिचलाता रहता है।
नुस्खे: धनिया और जीरे का समभाग पीसकर चूर्ण बना लें। उसमें से आधा-आधा चम्मच चूर्ण दिन में चार बार गुनगुने पानी के साथ लें। इमली के शरबत में शक्कर डालकर पीने से पित्त शान्त हो जाता है। यदि गरमी में पित्त बढ़ जाए तो पुदीने के रस में जरा-सी कालीमिर्च, भुने हुए जीरे का चूर्ण, नमक तथा धनिया का चूर्ण मिलाकर सेवन करें।
एक चम्मच शहद में एक चुटकी हरड़ का चूर्ण मिलाकर चाट लें। ऊपरसे गुनगुना पानी पिएं। दो चम्मच करौंदे के रस में एक चम्मच शहद और एक लाल इलायची का चूर्ण मिलाकर सेवन करें। सोंठ तथा धनिया 25-25 ग्राम लेकर पीस लें। इसकी तीन खुराक बनाएं। दिन में तीनों खुराक का पानी में काढ़ा बनाकर सेवन करें।
अदरक एक छोटी गांठ और एक चम्मच सूखा धनिया लेकर चटनी बनाएं। सुबह-शाम इस चटनी का सेवन करने से पित्त शान्त हो जाता है। 1 ग्राम यवक्षार को शहद में मिलाकर तीन खुराक के रूप में सुबह, दोपहर और शाम को चाटें। मूली के दो चम्मच रस में शक्कर मिलाकर पीने से खट्टी डकारें आनी बंद हो जाती हैं।
गिलोय के चूर्ण को शक्कर के साथ खाने से पित्त कम हो जाता है। चने का साग पानी में भिगो दें। फिर थोड़ी देर बाद पानी सहित साग को चबा जाएं। प्याज के रस में नीबू निचोड़कर पीने से सीने की जलन शान्त होती है। सुबह खाली पेट एक गिलास पानी में दो चम्मच मूली का रस पीने से दूषित पित्त पेशाब के साथ निकल जाता है।
एक चम्मच पालक का रस और एक चम्मच मूली का रस मिलाकर सेवन करने से पित्त के रोगी को काफी शान्ति मिलती है। शीतपित्त की खराबी में 3 ग्राम कालीमिर्च के चूर्ण में दो चम्मच देशी घी मिलाकर सेवन करें। जीरे का चूर्ण गुड़ के साथ सेवन करने से भी शीतपित्त नष्ट हो जाता है। आधे नीबू का रस एक गिलास पानी में मिलाकर पीने से पित्त में काफी आराम मिलता है। भुनी हुई ज्वार को गुड़ या बताशों के साथ खाएं। इससे पेट की जलन शान्त होती है।