स्वस्थ और सुखी रहने के लिए दादी मां ने सैकड़ों बातें बताई हैं, लेकिन कुछ बातें इतनी उपयोगी हैं कि यदि हम उनका पालन करें तो तरह-तरह के रोगों से बच सकते हैं।
प्रतिदिन सूर्य निकलने से पहले उठकर ईश्वर को याद करें। ईश्वर हमें शान्ति प्रदान करता है और दिनभर बुराइयों से बचाता है। उसका नाम मन को शुद्धि और तन को बल देता है। उठने के बाद जाड़ों में गुनगुना और गरमियों में ठंडा पानी पिएं। यह पानी यदि तांबे के बरतन में रखा हुआ हो तो सोने में सुहागे का काम करता है। सुबह पानी पीने से पेट का मल आसानी से बाहर आ जाता है और कब्ज टूट जाता है। पेट के कीड़े भी मर जाते हैं।
प्रातःकाल पार्क या उद्यान में टहलना स्वास्थ्यवर्धक होता है। उसके पश्चात् शौच से छुटकारा पाएं। मल के साथ आंतों में इकट्ठे होने वाले सारे दूषित पदार्थ बाहर निकल जाते हैं। शरीर स्वच्छ और हल्का हो जाता है।
अब दांतों की स्वच्छता, जीभ की सफाई, नाक और आंख की सफाई पर ध्यान देना चाहिए। मुंह धोते समय आंखों पर पानी का छप्पा लगाएं ताकि वे स्वच्छ हो जाएं और शीतलता को ग्रहण कर लें। स्नान करने के लिए शुद्ध पानी का उपयोग करना चाहिए। जाड़ों में बंद कमरे में और गरमियों में खुले में नहाया जा सकता है। लेकिन स्नान करने से पहले तिली या सरसों के तेल से शरीर की गहरी मालिश जरूर करें। मालिश करने से न केवल शरीर मजबूत होता है, छोटे-मोटे रोग भी नष्ट होते रहते हैं। इससे शरीर की खाल मुलायम, चमकीली, झुर्रियों रहित और खूबसूरत हो जाती है। आंखों की रोशनी ज्यों की त्यों बनी रहती है।
शरीर के अंग-अंग को जीवनी शक्ति के रूप में रक्त मिल जाता है। दादी मां का कहना है- यदि तेल में थोड़ी-सी अजवायन, लौंग और अदरक का रस डालकर उसे पका लिया जाए, तो यह तेल शरीर का टॉनिक बन जाता है। शरीर के छिद्र खुल जाते हैं जिनसे गंदगी बाहर निकलती रहती है। शरीर पर अधिक मांस नहीं चढ़ने पाता।
स्नानादि से निपटकर सुबह हल्का नाश्ता करना चाहिए। नाश्ते में दूध, चाय, बिस्कुट, फल, खजूर, मेवा आदि लिए जा सकते हैं। यदि ये चीजें उपलब्ध न हों तो चाय और बिस्कुट का सेवन करें। भोजन के पश्चात् न तो दौड़-भाग करें और न ही स्नान। ये दोनों कार्य शरीर के लिए हानिकारक हैं। रात को निश्चिन्त होकर सोएं। इससे अच्छी नींद आती है।
सोने से पूर्व दोनों पैरों में घुटनों तक तेल की हल्की मालिश अवश्य करें। इससे गहरी नींद आती है। गहरी नींद में व्यर्थ के सपने नहीं आते। सुबह शरीर भी हल्का-फुल्का होता है। मन शान्त रहता है। स्वस्थ रहने की दृष्टि से कपड़ों का विशेष महत्त्व है।
ईश्वर ने पेट को शरीर के सारे अंगों का वणिक् बनाया है। जैसे बनिया सबको अन्न खिलाता है, वैसे ही पेट भी अपने भण्डारण से अन्न का रक्त बनाकर सभी अंगों को थोड़ा-थोड़ा बांट देता है। अतः हर समय खाने-पीने से बचना चाहिए। यदि सप्ताह में एक बार उपवास रखें या केवल फल खाएं। उपवास दवा का काम करता है। आंतों को अतिरिक्त ऊर्जा प्रदान करता है और शरीर में जीवनी शक्ति का संचार करता है।
नशीले पदार्थ जैसे शराब, भांग, अफीम, चरस, गांजा, बीड़ी-सिगरेट आदि का सेवन कदापि न करें। यदि किसी संगत के कारण नशा करने की आदत पड़ गई हो तो उसे धीरे-धीरे छोड़ने का प्रयत्न करें।