अगर आपकी मर्दानगी कमजोर हे, तो अपनाए ये घरेलू नुस्खे ओर पाए घोड़े जैसी ताकत…

महर्षि वात्सयायन का कहना है कि पुरुष को सबसे पहले अपने स्वास्थ्य की ओर ध्यान देना चाहिए। यदि व्यक्ति पूर्ण आयु तक जीवित रहना चाहता है तो उसे पौष्टिक पदार्थों और पुष्टिकारक योगों का सेवन करते रहना चाहिए। इनके उपयोग में धातु पष्ट रहती है, मैथुन क्रिया में अपार आनंद आता है और जीवन में हर समय कारण सुख के क्षण उपस्थित रहते हैं। तब व्यक्ति को ग्लानि, दुर्बलता, धातुक्षय, शुक्र हीनता आदि की शिकायतें कभी नहीं होतीं। यहां उपयोगी तथा शक्तिवर्द्धक नुस्खे बताए जा रहे हैं। 

आधा लीटर दूध में आधा चम्मच पिसी हुई सोंठ डालकर दूध को अच्छी में तरह उबाल लें। ऐसे दूध का लगभग 15 दिनों तक सुबह के समय सेवन करें। यह दूध शारीरिक तथा मानसिक दोनों शक्तियों की वृद्धि करता है।

बैंगन के बीजों में पौरुष शक्ति बढ़ाने के गुण निहित हैं।  मस्तंगी 3 ग्राम और बैंगन के बीज 3 ग्राम-दोनों को कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में थोड़ी-सी ‘अगर’ मिलाकर खरल कर लें। फिर चने के बराबर गोलियां बनाएं। प्रतिदिन सुबह-शाम दो-दो गोली दूध के साथ सेवन करें।

नीम की कोंपलें, शीशम की कोंपलें तथा बथुआ-तीनों 5-5 ग्राम लेकर चटनी बना लें। इसमें से 5 ग्राम चटनी का सेवन सुबह के समय दूध के साथ करें। पौरुष शक्ति बढ़ाने का यह आजमाया हुआ नुस्खा है। 

सोंठ, शतावर, गोरखमुण्डी तथा थोड़ी-सी भांग-सबको पीसकर उसमें मीठा होने लायक खांड़ मिला लें। इसे सुबह-शाम दूध के साथ खाएं। यह शक्तिवर्द्धक नुस्खा है।

100 ग्राम देशी बबूल का गोंद देशी घी में भून लें। फिर इसे कूट-पीसकर महीन बना लें। आधा चम्मच गोंद फांककर ऊपर से दूध पिएं। यह वीर्यवर्द्धक नुस्खा है।

सत गिलोय, गोखरू, बंसलोचन तथा छोटी इलायची- सभी वस्तुएं 50 50 ग्राम की मात्रा में पीसकर एक शीशी में भर लें। इसमें से 10 ग्राम चूर्ण शहद या मक्खन के साथ सेवन करें।

असगंध, मुलहठी तथा तालमखाने बीज-सभी चीजें 100-100 ग्राम की चूर्ण बना लें। अब इसमें 200 ग्राम कच्ची खांड़ मिलाएं। दो चम्मच चूर्ण शाम को सोने से पूर्व दूध साथ सेवन करें। 

काँच के बीजों का चूर्ण ग्राम, तालमखानों के बीजों का चूर्ण तथा पिसी कूजा मिश्री ग्राम- तीनों मिलाकर रात खाकर ऊपर यह उत्तम पुष्टिकारक तथा पौरुष शक्ति को बढ़ाने वाला योग हे। 

बरगद पके हुए फल, पीपल के फल तथा नीम निबौलियां-तीनों 100-100 ग्राम की मात्रा सुखा लें। इसके कूट-पीसकर चूर्ण बनाएं।

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