आज हम आपको ऐसे ही एक मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो दुनिया का सबसे विशाल और भव्य मंदिर है ओर वह भारत मे नहीं हे। दुनिया में कई ऐसे बड़े मंदिर हैं। लेकिन कंबोडिया के अंकोरवाट मंदिर की बात ही कुछ अलग है। यह मंदिर अंकोरयोम नामक नगर में स्थित है। जिसे प्राचीन काल में यशोधरपुर कहा जाता था। यह मंदिर आज भी संसार का सबसे बड़ा मंदिर माना जाता है।
फ्रांस से आजादी मिलने के बाद अंकोरवाट मंदिर कंबोडिया देश का प्रतीक बन गया। विश्व के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थानों में से एक होने के साथ ही यह मंदिर यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थलों में से एक है। राष्ट्र के लिए सम्मान के प्रतीक इस मंदिर को 1983 से कंबोडिया के राष्ट्रध्वज में भी स्थान दिया गया है। 1986 से लेकर वर्ष 1993 तक भारत के पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने इस मंदिर के संरक्षण का जिम्मा संभाला था।
इस मंदिर के चारों ओर एक गहरी खाई है। जिसकी लंबाई ढाई मील और चौड़ाई 650 फीट बताई जाती है। यह मंदिर एक ऊंचे चबूतरे पर स्थित है। जिसमें तीन खंड हैं। मुख्य मंदिर तीसरे खंड की छत पर स्थित है। मंदिर साढ़े तीन किलोमीटर लंबी पत्थर की दीवारों से घिरा हुआ है। इस मंदिर की विशालता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि प्रवेश के लिए एक विशाल द्वार बनाया गया है, जो लगभग 1000 फीट चौड़ा है। दीवार के बाद 700 फीट चौड़ी खाई है, जिस पर 36 फीट चौड़ा पुल बना है।
यह विशाल भव्य मंदिर भगवान श्री हरि विष्णु को समर्पित है। प्राचीन काल में बनाए गए इस मंदिर की कलाकारी को देखकर ऐसा लगता है मानो जैसे इन्हें आज की मशीनों द्वारा बनाया गया हो। इसका निर्माण कम्बुज के राजा सूर्यवर्मा द्वितीय ने 12वीं सदी में कराया था। इस प्राचीन मंदिर की दीवारों पर भारतीय हिंदू धर्म ग्रंथों के प्रसंगों का विस्तार से चित्रण किया गया है।