ऐसे में जब भी ट्रेन लंबे रास्ते से होकर गुजरती है तो अक्सर देखा गया है कि उसकी पटरी पर कोई ना कोई जीव आ जाता है। ऐसे में ट्रेन बिना रुके ही आगे बढ़ जाती है। जिसके चलते कई बार हमें पटरी पर जानवरों की ताश के साथ-साथ इसानों की लाश भी देखने को मिलते हैं।
उन इलाकों से ट्रेन का जाना जाना भी लगा रहता है। भारत में इंडियन रेलवे का बहुत बड़ा नेटवर्क है। आखिर ड्राइवर को यह पता लगने के बाद भी की कोई पटरी पर है फिर भी वह ट्रेन रोक नहीं पाता ओर ट्रेन ड्राइवर ब्रेक लगाने में हिचकिचाता क्यों हे?
ट्रेन अपने साथ कई अन्य डिब्बों को लेकर चलती है। जब वह एक रफ्तार पकड़ लेती है तो उसका रुकना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में ट्रेन में जो ब्रेक मौजूद होते हैं वह एक प्रेशर पर काम करते हैं। इन ब्रेक्स को ट्रेन के हर पहिए पर लगाया गया होता है। साथ ही साथ ट्रेन का रुकना इस बात पर भी निर्भर करता है कि आखिर ट्रेन का वजन कितना है। यदि ट्रेन का ड्राइवर इमरजेंसी ब्रेक भी लगाए तो ट्रेन कम से कम 1 किलोमीटर दूर जाकर रुकती है।
यदि कोई अचानक से सामने आ जाए तो ट्रेन का ड्राइवर कुछ नहीं कर सकता और जांध ट्रेन की पटरी मुड़ रही होती है तब भी ड्राइवर के लिए काफी परेशानी खड़ी हो जाती है। जब आप ट्रेन के डिब्बे में मौजूद लीवर को खींचते हैं तब भी कुछ इसी प्रकार से ट्रेन के पहिए में प्रक्रिया होती है और ट्रेन रुक जाती है। यदि ट्रेन का ड्राइवर ट्रेन को रोकना चाहता है तो उसे काफी दूर से देख लेना चाहिए कि ट्रेन की पटरी पर कौन है।
अंधेरे में जितनी रोशनी इंजन से निकलती है, उतनी दूर की पटरी ड्राइवर को नजर आती है जिसके चलते रात के वक्त ट्रेन का ड्राइवर लगातार हॉर्न बजाते हुए चलता है। ऐसी दुविधा में ड्राइवर जो हो सकता है वह करने का प्रयास करता है ताकि पटरी पर मौजूद जीव जंतु बच सकें और दुर्घटना को होने से टाला जा सके।